आँख के आंसू सुख से गया
फिर भी न सुनी किसी ने मेरी पुकार
बिटिया हूँ तोह क्या ?
संतान हूँ तेरी ही ,
माँ - बाबा सुनले मेरी गुहार
आना चाहू तेरी कुतिया में ,
पाना चाहू तेरे प्यार .बस एक मौका दे दे मुझे ,
वादा है यइ मेरा ,
चला कर दिखौंगी तेरा घर संसार .
क्यूँ हो गए इतना लचर ?
जो जीने से पहले हइ ,
तुम चाहते हो देना मुझे मार ..
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती को ,
तुम कर जोड़ करते हो नमस्कार ,
फिर क्यूँ करते हो ,
उन्ही के रूप हम बेटियों का तिरश्कर ?
एक मौका दो हमे भी ,
ज़िन्दगी जीने दो हमे भी ,
करके दिखायेंगे हम भी ,
तुम्हारा सपना साकार .
well.said.. keep it up.. trully touching..
ReplyDeleteThank you Arjun for your comment
Delete