Sunday, 8 April 2012

जिन्दीगी जीने दो हमे भी

आँख के आंसू सुख से गया
फिर भी न सुनी किसी ने मेरी पुकार
बिटिया हूँ तोह क्या ?
संतान हूँ तेरी ही ,
माँ - बाबा सुनले मेरी गुहार
आना चाहू तेरी कुतिया में ,
पाना चाहू तेरे प्यार .
बस एक मौका  दे  दे  मुझे ,
वादा  है यइ मेरा ,
चला  कर  दिखौंगी  तेरा  घर  संसार .

ऐसी  क्या  बेबसी  ?
क्यूँ  हो  गए  इतना  लचर  ?
जो  जीने  से  पहले  हइ ,
तुम  चाहते  हो  देना  मुझे  मार ..
दुर्गा  लक्ष्मी  सरस्वती  को ,
तुम  कर  जोड़  करते  हो  नमस्कार ,
फिर  क्यूँ  करते  हो ,
उन्ही  के  रूप  हम  बेटियों  का  तिरश्कर  ?
एक  मौका  दो  हमे  भी ,
ज़िन्दगी  जीने  दो  हमे  भी ,
करके  दिखायेंगे  हम  भी ,
तुम्हारा  सपना  साकार . 


2 comments:

  1. well.said.. keep it up.. trully touching..

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